tag:blogger.com,1999:blog-1475347428045094357.post102134978111128935..comments2023-10-29T03:31:23.383-07:00Comments on लोक-रंग: नचारी - होरी के हुरंग में..प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1475347428045094357.post-22197241383889636962011-03-17T11:54:16.825-07:002011-03-17T11:54:16.825-07:00बहुत बहुत बहुत सुन्दर नचारी है...एकदम नाम की ही तर...बहुत बहुत बहुत सुन्दर नचारी है...एकदम नाम की ही तरह....भाषा और शब्द सौंन्दर्य में मन खो सा गया...मुग्ध मुग्ध सम्मोहित से भाव के साथ टिप्पणी लिख रही हूँ......इस रचना को पढना aaj के din की uplabdhi रही.....kyunki kitni masoom नज़र aatin हैं माँ saraswati और माँ gauri आपकी इस नचारी में....बहुत सामान्य मगर सादगी से परिपूर्ण और बेहद ख़ास......aisaa चित्रण kahin maine padha नहीं माँ सरस्वती के लिए.....<br /><br />आभार है इस lekhan के लिए..!!Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.com