*
तेरी कमाई में ओ,मेरे भइया कुछ तो है बहिनी का भाग ,
इक नया पैसा हजार रुपैया में ,बस इतना कर दे निभाव ,
*
भौजी को गढ़वा हे हीरे के गहने ,कांच की चुरियाँ मोय ,
मइके इतना ही मान बहुत रे ,तेरी तरक्की होय.
बरस में दो दिन पाऊँ वो देहरी ,इतना सा मन का चाव.
*
ये ही बहुत रे ,चिठिया पठा दे आए जो तीज-तेवहार
मइया औ बाबा किसके रहे रे ,भइया से मइका हमार .
फिर तो ये मेरा, तेरा वही घर, जीवन का ये ही हिसाब.
*
माँ जाए भाई सा दूजा न कोई ,दरपन सा निहछल भाव .
भइया की भेंटें ऐसा लगे मइया पठवा दिहिन है प्रसाद,
सुख हो या दुख,गए मौसम के, रुख पर तेरा न बदला सुभाव .
*
बचपन के सुख को जी लूँगी फिर से बाँधूँगी यादों की गाँठ ,
संबल बनेंगी रँग से भरेंगी ,जब भी जिया हो उचाट .
देखूँ तुझे सियरावे हिया, लागे बाबुल की छू ली छाँव .
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तेरी कमाई में ओ,मेरे भइया कुछ तो है बहिनी का भाग ,
इक नया पैसा हजार रुपैया में ,बस इतना कर दे निभाव ,
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भौजी को गढ़वा हे हीरे के गहने ,कांच की चुरियाँ मोय ,
मइके इतना ही मान बहुत रे ,तेरी तरक्की होय.
बरस में दो दिन पाऊँ वो देहरी ,इतना सा मन का चाव.
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ये ही बहुत रे ,चिठिया पठा दे आए जो तीज-तेवहार
मइया औ बाबा किसके रहे रे ,भइया से मइका हमार .
फिर तो ये मेरा, तेरा वही घर, जीवन का ये ही हिसाब.
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माँ जाए भाई सा दूजा न कोई ,दरपन सा निहछल भाव .
भइया की भेंटें ऐसा लगे मइया पठवा दिहिन है प्रसाद,
सुख हो या दुख,गए मौसम के, रुख पर तेरा न बदला सुभाव .
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बचपन के सुख को जी लूँगी फिर से बाँधूँगी यादों की गाँठ ,
संबल बनेंगी रँग से भरेंगी ,जब भी जिया हो उचाट .
देखूँ तुझे सियरावे हिया, लागे बाबुल की छू ली छाँव .
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