शुक्रवार, 26 मार्च 2010

हमको क्या करना

*
हमको क्या करना .
भरने दो उसकी बारी है ,
सही-ग़लत जो हो ,
अपने को क्या फ़र्क पड़ेगा ,
खा-पी ले और सो !
जब हम पर आये देखेंगे ,
व्यर्थ यहाँ फँसना.!
*
हम काहे को पड़ें बीच में ,
औ विरोध झेलें
पड़े बीच में काहे
जिस पर आई वो झेले
जिस करवट से ऊँट रहे
बस दे दो मत अपना
*
कोई बढ़े-चढ़े क्यों आगे ,
दुनिया के चक्कर ,
हज़म न कर पायेगा कोई ,
देगा ही टक्कर .
देख तमाशे सबके ,
बस सिर बचा रहे अपना
*
सबसे मीठा बोलो ,
चाहे सच चाहे झूठा ,
अपना काम निकालो
चाहे टेढ़ा या सीधा .
सारे प्रश्न दफ़ा कर
चाहे जैसे मौज मना
*
कोऊ भी नृप होय ,
हमें का होवेगी हानी ,,
अपनी ढपली बजा,
यही नुस्खा है लासानी

अपना मतलब पुरे ,
और फिर हमको क्या करना!