मंगलवार, 24 अगस्त 2010

भारत माने इंडिया

*(यह प्रवासी बच्चों की ओर से )
हमको भारत क्यों भाता है ,(भारत माने इंडिया )
हमें इंडिया क्यों भाता है !
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दादी-दादा -नानी-नाना ,बुआ और दो चाचा ,
फूफा ,मामा-मामी, भाभी, जीजा ,मौसी मौसा
यहाँ आंटी-अंकल तक व्यवहार सिमट जाता है !
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दीपक ले दीवाली आती,रंग लुटाती होली ,
लोड़ी पर भर जाती अपनी भुने अन्न से झोली ,
गर्मी में आ मानसून पानी बरसा जाता है.
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रक्षाबंधन सारी बहने लातीं सुंदर राखी ,,
बड़े प्यार से मीठा मुँह कर भेंट हमारी पातीं ,
कृष्ण -अष्टमी झाँकी में सबने प्रसाद बाँटा है .
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नीम डाक्टर पेड़ खड़ा है अपने दरवाजे पर
पीपल की ठंडी छाया में बैठो सत्तू खा कर
उनकी छाया रोग एलर्जी झट से भग जाता है
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चाँद निकलता था छत पर जा कर देखा ध्रुव तारा ,
सप्तऋषि के सातों को हमने ले नाम पुकारा .
इन सबका हम सबसे ही जाने कब का नाता है .
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शादी मुंडन ,गोद भराई या फिर कहीं रहे सगाई ,
केसरवाला दूध पियो या घुटी हुई ठंडाई ,
नाच और गानों में ही सप्ताह निकल जाता है ,
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मिले ईद पर सेवइयाँ औ'बैसाखी पर हलवा ,
दुर्गापूजा में नाचेगा झूम-झूम कर ललुआ ,
साँझ पड़े तुलसी चौरे पर दीपक जल जाता है !
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