रविवार, 4 जुलाई 2010

हसरतें --

*बड़ी शिकायत है मुझे बड़ा दुख है ,
पति से कहा मैने -
'माँ-बाप ने कैसा लड़का ढूँढा मेरे लिये!
'क्या देखा तुम में ,तुम्हारी डिग्रियाँ ,नौकरी!
अरे इस सब से क्या मिला मुझे ?
किसी लालू जैसे से ब्याहते तो आज मै भी
कहीं की मुख्यमंत्री होती ! '
*
पति ने बड़ी ठण्डी साँस छोड़ी -बोले -
'मेरी भी हसरत मन-की-मन में रह गई १
तुम जैसी पढी-लिखी बीवी पल्ले पड़ गई १'
'क्या मतलब 'आँखें तरेर कर पूछा मैंने १
बोले-'काश राबड़ी जैसी पत्नी होती ,
जब चाहता रसोई मे घुसा देता
जब चाहता अपनी जागीर का मुख्य-मंत्री बना देता १
जहाँ कहता अक्षर-अक्षर जोड़ दस्तखत करती,
हमेशा मुंह बाए मेरा मुँह तकती !
*
बड़ी कुण्ठित हूं मै ,
सच्ची मैने बेकार पढ़ा-लिखा !
पढ़-लिखकर हमलोग अपनी ही लुटिया डुबोते हैं ,
सोचते हैं , समझते हैं ,रोते हैं!
इसलिए कुछ जानने की
समझने की बूझने की कोशिश मत करो ,
यह तो संज्ञेय अपराध है !
बोलो ,पर बिना समझे-बूझे,
क्योंकि अपना ही राज है १
चिल्लाओ ,चीखो ,छीनो ,झपटो ,मारो-काटो ,
तुम सक्रिय कहाओगे और देश की रेलगाड़ी
फूलन-सुन्दरी की तरह जहाँ चाहोगे रुकवाओगे!
*
जो बड़े को हाँके वही ताकतवर है ,
अक्ल छोटी होती है ,
भैंस बहुत बड़ी.
सौ मूर्खों को एक डण्डे से हांके वही कद्दावर है !
हमारे भेड़-तन्त्र मे एक के पीछे सारा रेवड़ चलता है ,
पीछे-पीठे सारा देश चलता है १
भैंस पर बैठो ,हाँक ले जाओ , छोड़ दो पानी में
और शान से कर्णधार बन ,
जा बैठो देश की राजधानी में !
*

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