रविवार, 4 जुलाई 2010

तेरे माया-राज में

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मइया, तेरे राज मे चील -बिलौटे, शेर .
खूसट खडे नमन करें ,करते रहें अहेर !
क्या होगा अंजाम इसका बाद में ?
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टुकडखोर आशीष दें ,पाकर फेंके अंश,
गद्दी सदा बनी रहे ,चले सदा यह तंत्र !
अकल चर रही घास ,तेरे राज मे !
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करे न कोई काम पा सरकारी नौकरी ,
ये हाकिम -हुक्काम ,चिपके जैसे जोंक री !
सभी कागजी काज, तेरे राज में !

मुख पर राम रचे हुये,दबा बगल में ईंट !
सीना ताने घूमते ,चोर उचक्के ,नीच !
है ईमान हराम तेरे राज मे !

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सटीक दुमदार दोहे...बढ़िया कटाक्ष.

Sunil Kumar ने कहा…

अच्छा लगा
सच्चाई को दर्शाती एक सुंदर रचना , बधाई

निर्मला कपिला ने कहा…

सटी, आज के हालत को दर्शाती सुन्दर रचना। आभार्